इन बातों का ध्यान रख कर आप वास्तु दोष (Vastu Dosh) से बच सकते हैं
इन बातों का ध्यान रख कर आप वास्तु दोष (Vastu Dosh) से बच सकते हैं। घर बनाते समय कितना भी ध्यान रख लें पर कुछ ना कुछ वास्तु दोष रह जाता है। वास्तु दोष के कारण परिवार के सदस्यों में अनबन, परिवार के विकास में रुकावट, आमदनी में बढ़ोतरी नहीं होना इस प्रकार के बहुत सी परेशानियां परिवार को घेर लेती है।
आपके घर में सुव्यवस्था, आराम की अनुभूति हो सके तथा प्रतीकात्मक रूप से संपूर्णता झलक सके इसके लिए यथासंभव पांचों तत्वों या उनके प्रतीकों का उपयोग करें। इस आर्टिकल को आप बुरा पड़ेंगे तो आपके घर में जो वास्तु दोष है उनको आप आसानी से दूर कर सकते हैं। अपने और अपने परिवार के विकास के मार्ग खोल सकते हैं।
बिना तोड़फोड़ वास्तु दोष (Vastu Dosh) का निवारण
- फर्नीचर को यीन (घुमावदार ) तथा यांग (सीधा) का मिला-जुला रूप होना चाहिए।
- दर्पण के उपयोग से जहां शार को वापस लौटाया जा सकता है, वहीं बाहरी दृश्यों व व्यक्तियों को आंतरिक भाग में परावर्तित किया जा सकता है। मगर ची के सुगम प्रवाह के लिए दर्पणों को यथासंभव साफ स्वच्छ रखें।
- घर में ची (सकारात्मक ऊर्जा Positive Energy ) को आकर्षित करने के लिए झाड़फानूस से आश्चर्यजनक उपाय सिद्ध होते हैं।
- क्रिस्टल व चमकीली वस्तुएं भी ची (सकारात्मक ऊर्जा Positive Energy ) को आकर्षित करती हैं। अतः उन्हें भी साफ-स्वच्छ रखें।
- इस बात का ध्यान रखें कि घर पूर्णतः व्यवस्थित रहे। रंग-रोगन पुराना ना पड़े।
- टपकते नलकों की तुरंत मरम्मत करें।
- अव्यवस्था से बचें तथा निरूपयोगी वस्तुओं को जमा न करें।
- पा- कूआ की आकांक्षाओं द्वारा इंगित क्षेत्रों को सक्रिय करें।
- ज्यादा मंजिलों वाले घर की तुलना में एक तल वाले घर ज्यादा ची की रचना करते हैं। बहुतल वाले घर ची को भ्रमित कर देते हैं कि वह ऊपर जाए या नीचे।
- यह भी मान्यता है कि अगर रसोई घर और खाने के कमरे की तुलना में बैठक ऊंचाई पर होगी तो सारी लाभकारी ची मेहमानों के साथ चली जाएंगी।
कुछ बातों का ध्यान रखकर वास्तु दोष (Vastu Dosh) का निवारण
- बेड रूम, अध्ययन के कमरे तथा मनोरंजन कक्ष भी रसोईघर की तुलना में ऊंचाई पर नहीं होने चाहिए। यह भी नकारात्मक पहलु माना जाता है जब कोई व्यक्ति ऊंचाई से घर में प्रवेश कर के फिर कुछ सीढ़ियां नीचे जाकर शेष घर में जाता है। ऊपर से नीचे जाने की यह प्रक्रिया अवनति एवं दर्जे में कमी की द्योतक मानी जाती है।
- घर का मुख दक्षिण की ओर होना चाहिए।
- अगले दरवाजे को भी दक्षिणाभिमुखी होना चाहिए। रसोई घर का मुख पूर्व की ओर होना चाहिए।
- शयन कक्षों का दरवाजा सीधे रसोई घर में नहीं खुलना चाहिए।
- खिड़कियों व दरवाजों में 3:1 का अनुपात होना चाहिए।
- सीधे-लंबे गलियारे न ही बनवाएं जाए तो अच्छा रहता है।
- एक सीधी लाइन में तीन या तीन से अधिक दरवाजे नहीं होने चाहिए।
- सर्पिले आकार की सीढ़ियां नहीं बनवानी चाहिए।
- घर के प्रथम दरवाजे का आकार घर के आकार के समानुपाती होना चाहिए। दरवाजे के बड़ा होने पर आपके भाग्य पर कुप्रभाव पड़ेगा और ज्यादा छोटा होने पर जहां ची (सकारात्मक ऊर्जा Positive Energy) सीमित होगी वहीं परिवार में मतभेद भी उभरेंगे।
फँग-शूई द्वारा वास्तु दोष (Vastu Dosh) का निवारण
- फँग-शूई का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह भी है कि दरवाजे के ओर के विषाक्त बाण का निराकरण करना चाहिए। यदि आपका घर टी (T) के मोड़ पर है तो आपको घर की ओर आने वाली सड़क को अदृश्य करने के लिए अपने अगले दरवाजे पर पा- कूआ दर्पण लगाना पड़ेगा या फिर बाड़ या वृक्ष।
- अगले दरवाजे को छिपाने वाले वृक्ष की छंटाई करनी चाहिए क्योंकि वह आपके व्यवसाय का प्रतीक होता है इसलिए जितना स्पष्ट रहेगा, उतना बेहतर रहेगा।
- प्रथम दरवाजे को अधिकाधिक स्वागतकर्ता होना चाहिए। साथ ही आसानी से पहचान में आना चाहिए।
- विंडचाइम, आकर्षक पैर-पोश, लटकने वाले पौधे, फूल वाले गमले तथा जानवरों की मूर्तियां घर में ची के प्रवेश को बढ़ावा देती हैं।
- अगर आपका प्रवेश द्वार छोटा व संकुचित सा हो तो वहां बड़ा सारा दर्पण लगा कर उसे बड़ेपन का अहसास दिलाएं।
- आप अगले दरवाजे को सम्मुख पक्षियों के नहाने का पात्र, तालाब या फव्वारा बना कर सीधी रेखा के विषाक्त बाण को नष्ट कर सकते हैं। इससे सौभाग्य की वृद्धि होगी।
- अगले दरवाजे को पिछले दरवाजे की तुलना में थोड़ा बड़ा होना चाहिए जिससे कि ची तेजी के साथ अंदर आ सके और कुछ देर ठहर कर बाहर जाए। अन्यथा मध्य में झाड़फानूस लगाएं।
- घर से बाहर देखने पर बाईं तरफ की भूमि तथा बिल्डिंगें दाहिनी ओर से कुछ ज्यादा ऊंची होनी चाहिए (बाईं ओर की भूमि व भवन ड्रैगन के प्रतीक होते हैं तो दाहिनी ओर चीते की)।
आईना Mirror द्वारा वास्तु दोष (Vastu Dosh) का निवारण
- अगले व पिछले दरवाजे को ठीक आमने सामने नहीं होना चाहिए। इससे शार की रचना होगी तथा सारी ची तुरंत बाहर चली जाएगी। इस कारण फर्नीचर या दर्पण के माध्यम से ची को सारे घर में जरा से घुमाव के साथ प्रवाहित होने दें । इसी प्रकार अगले व पिछले दरवाजे के मध्य क्रिस्टल लटका कर ची को ठहरने के लिए प्रोत्साहित करें।
- शीशे वाले दरवाजे की तुलना में अगला दरवाजा ठोस होना चाहिए।
- अगर अगला दरवाजा बड़े कांच का हो तो उसे पर्दे से आंशिक रूप से ढ़क दें वर्ना ची (सकारात्मक ऊर्जा Positive Energy ) व आगंतुक उसे खिड़की समझ बैठेंगे।
- अगला दरवाजा अगर दो या दो से ज्यादा फलकों का बना हो तो सभी फलक समान आकार के होने चाहिए। इससे सामंजस्य व संतुलन बना रहेगा।
दरवाजे का वास्तु दोष (Vastu Dosh) का निवारण
- घर की अगली दीवारों व दरवाजे पर एक-दूसरे के विपरीत रंग करें जिससे दरवाजे का प्रभाव बढ़ेगा तथा ची को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
- एकांत की अनुभूति के लिए अगले दरवाजे की दोनों तरफ पेड़ या झाड़ियां लगाना अच्छा रहता है किंतु ध्यान रखें अगला दरवाजा छिप सा न जाए।
- अगले भाग के रास्ते की दोनों तरफ फूल रहने पर ची को बढ़ावा मिलता है और आने वाले व्यक्तियों में जोश बना रहता है।
- दरवाजे के सम्मुख से सीधी ऊपर जाने वाली सीढ़ियों के उपाय के रूप में निचले पायदान के ऊपर छत से एक क्रिस्टल लटका दें।
रसोई Kitchen वास्तु दोष (Vastu Dosh) का निवारण
- रसोई घर में पर्याप्त प्रकाश व खुला स्थान होना चाहिए। उसका घर की संपदा का प्रतीक होने के नाते सुप्रकाशित होना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा ची का प्रवेश हो सके।
- खाना बनाने वाले स्त्री-पुरुष को 45° से ज्यादा सिर मोड़े बिना रसोई में आने वाले को देख पाना चाहिए। यह संभव न होने पर स्टोव के पास दर्पण रखें ताकि उसे दरवाजा दिखाई देता रहे।
- खाने के कमरे को अव्वल तो अलग होना चाहिए नहीं तो किसी कमरे का भाग होने पर उनमें स्पष्ट पृथकता रहनी चाहिए।
खाने के कमरे का वास्तु दोष (Vastu Dosh) का निवारण
- डायनिंग रूम को बैठक की तुलना में निचाई पर नहीं होना चाहिए।
- वृत्ताकार, अंडाकार या पा-कूआ के आकार की खाने की टेबल अच्छी मानी जाती है।
- वर्गाकार या आयाताकार होने पर उनके कोने जरा से गोल होने चाहिए।
- दर्पण रखने के लिए डायनिंग रूम घर के सभी कमरो में सर्वाधिक उपयुक्त रहता है क्योंकि वह खाने की मात्रा को दुगुना कर देता है अतः वहां एक बड़ा सा दर्पण लगाएं।
- खाने के कमरे में अत्यधिक फर्नीचर ची के प्रवाह में बाधक बनता है। अतः अस्त व्यस्तता से बचें।
- खाने के कमरे की नंगी कड़ियां विषाक्त बाण समझी जाती हैं। कड़ी के मध्य में बांस की दो बांसुरियां लटकाने से कुप्रभाव खत्म हो जाता है।
- चाहे आप अकेले ही क्यों न रहते हों फिर भी खाने की टेबल के चारों तरफ तीन कुर्सियां रखें और जब भी आप खाना खाएं तो हमेशा अलग-अलग कुर्सी पर बैठें। इससे मेहमानों को बढ़ावा मिलेगा।
सोने का कमरा (Bedroom) वास्तु दोष (Vastu Dosh) का निवारण
- पलंग के लिए कमरे के दरवाजे से तिरछे रूप में सर्वाधिक दूरी का स्थान अच्छा रहता है।
- पलंग का पायताना दरवाजे के ठीक सम्मुख नहीं होना चाहिए।
- यह सुनिश्चित कर लें कि आप गर्दन को 45° से ज्यादा मोड़े बिना आने वाले को देख सकते हैं। संभव न होने पर आगंतुक को देखने के लिए दर्पण का उपयोग करें।
- पलंग के ऊपर छत की नंगी कड़ी नहीं होनी चाहिए। कोई उपाय न होने पर पलंग को कड़ी के लंबवत् रखें, चौड़ाई में नहीं।
- पलंग को दीवार के समीप रखना चाहिए न कि खिड़की के पास।
- बेडरूम में लगा गोल दर्पण वैवाहिक संबंधों को प्रगाढ़ करेगा।
- दर्पण को पलंग के पायताने के ठीक सम्मुख न रखें वर्ना रात में अचानक जागने पर उसमें अपना प्रतिबिंब देख आप चौंक जाएंगे।
- अगर आप नवीन संबंधों की तलाश में हैं तो पलंग को इस प्रकार रखें कि उस पर दोनों तरफ से आया जाया जा सके।
- पलंग के नीचे रखा गया सामान ची के प्रवाह को रोकता है और उससे आपको पलंग का लाभ नहीं मिल पाएगा। अतः वहां ची के प्रवाह के लिए पर्याप्त स्थान छोड़ दें।
- ड्रेसिंग टेबल को दरवाजे के ठीक सम्मुख रखने से संबंधों में तनाव आता है। अतः ऐसी स्थिति से बचें। साथ ही उससे सकारात्मक ची भी परावर्तित होगी जिसके कारण आपके मन में कमरे के प्रति विरक्ति पैदा होगी।
- शयन कक्ष में ऊर्जा को परिवर्तित करने के लिए एक हरा पौधा रखें किंतु ज्यादा पौधे ना रखें वर्ना वे सारी उपलब्ध ची को हस्तेमाल कर लेंगे।
स्नानघर (Bathroom) वास्तु दोष (Vastu Dosh) का निवारण
- शौचलय नजरों से जितना ही ओझल रहेगा, उतना ही बेहतर रहेगा। बाथरूम को गलियारे की विपरीत दिशा में स्थित कमरे के दरवाजे की ओर सीधा नहीं खुलना चाहिए।
- लंबे गलियारे के अंत में बाथरूम नहीं होना चाहिए।
- शौचालय व स्नानघर के दरवाजे को हमेशा बंद रखें।
शौचालय का वास्तु दोष (Vastu Dosh) का निवारण
- स्नानघर व शौचालय के संयुक्त रहने पर उनके मध्य पर्दा लगाएं या आधी ऊंचाई तक दीवार बनवाएं ।
- घर के मध्य का शौचालय घर में चारों तरफ नकारा ची भेजेगा इसलिए उसे वहां से हटा दें।
- अगले द्वार के समीप शौचालय नहीं होना चाहिए वर्ना शौचालय की नकारात्मक ची (सकारात्मक ऊर्जा Positive Energy ) प्रवेश करने वाली सकारात्मक ची से टकराएगी।
- स्नानघर को वैसे तो साधारण होना चाहिए पर यदि आप उसे सजाते हैं तो उसमें क्रिस्टल लटकाएं।
- बैठक में सर्वाधिक अधिकार पूर्ण स्थिति मुख्य दरवाजे से कमरे में तिरछे रूप में होती है तथा वह घर के मुखिया के लिए सर्वाधिक उपयुक्त रहती है क्योंकि उसका का अर्थ होता है कि वहां उसका अधिकार है।
- बैठक का अंधकार युक्त भाग संबंधित जीवन क्षेत्र पर कुप्रभाव डालता है। अतः समूची बैठक में प्रकाश की व्यवस्था के लिए फ्लोर या टेबल लैंप का उपयोग करें।
- बैठक में फर्नीचर को समान रूप से व्यवस्थित करें वर्ना कमरा असंतुलित और संकुचित सा लगेगा।
- सोफे व कुर्सियों के पिछले भाग बैठक के दरवाजे की ओर नहीं होने चाहिएं वर्ना उन पर बैठने वाले स्त्री-पुरुष स्वयं को असुरक्षित महसूस करेंगे।
- बैठक अगर प्रमुख दरवाजे की तुलना में निचले स्तर पर हो तो बैठक के मध्य में क्रिस्टल लटका दें ताकि ची ऊपर आकर्षित हो सके। बैठक की नंगी कड़ियां विषाक्त बाण का काम करती हैं इसलिए अंत की कड़ी के मध्य में बांस की दो बांसुरियां लटका दें।
- बैठक में आमने-सामने अगर दो दरवाजे हों तो किसी दरवाजे पर विंडचाइम या क्रिस्टल लटका दें।
रंग (Colour) वास्तु दोष (Vastu Dosh) का निवारण
- रंग भी ची को प्रोत्साहन व ऊर्जा देते हैं तथा चमकीले रंग ची को आकृष्ट कर उस क्षेत्र को ज्यादा प्रेरक बनाते हैं। लाल रंग सौभाग्य व संपदा का प्रतीक होने के नाते विशेष उपयोगी रहता है।
- एक ही रंग का अत्यधिक उपयोग ना करें। दीवारों व छत पर यदि एक ही रंग किया जाता है तो उसका परिणाम सीमित करने वाला और अंततः अवसादकारी होता है।
- रंगों से ऊर्जा मिलती है इसलिए उत्तेजक व अन्य रंगों के साथ परीक्षण कर के देखें जैसे वार्तालाप के लिए उपयोग में लाए जाने वाले क्षेत्रों में लाल, पीला व बैंगनी रंग। प्रेरक रंगों से चित्ताकर्षक वार्तालाप संभव होता है।
- रंगों को शुद्धता, तीव्रता एवं चमकीलेपन के साथ उपयोग कर के आप प्रत्येक कमरे को उद्देश्य के लिए पूर्ण योग्य बना सकते हैं।
- प्रकाश के कल्पनात्मक उपयोग द्वारा आप अपनी रंग योजना को प्रभावी बना सकते हैं। इसके लिए प्रत्येक कमरे में तीव्र व हल्के प्रकाश के मिले-जुले रूप का उपयोग करें तथा उसका स्वयं पर और मेहमानों पर पड़ने वाले प्रभाव का जायजा लें।
पांच तत्वों से वास्तु दोष (Vastu Dosh) का निवारण
- अग्नि- पुरुष : काष्ठ का अग्नि से बेहतर संबंध रहता है, इस कारण हरा रंग आपके लिए अच्छा रहता है किंतु जल अग्नि का विनाश करता है अर्थात् आपको काले व नीले रंग से बचना चाहिए। पृथ्वी अग्नि को खत्म करती है। अतः भूरे व पीले रंग का उपयोग न करें।
- पृथ्वी – पुरुष : अग्नि- पृथ्वी का अच्छा संबंध होता है। अतः लाल रंग आपके लिए अच्छा रहता है। किंतु काष्ठ पृथ्वी का विनाश करता है। इस कारण हरे रंग का उपयोग न करें। धातु पृथ्वी का क्षय करती है। अतः श्वेत व सुनहरे रंग से बचें।
- धातु – पुरुष : पृथ्वी का धातु से अच्छा नाता होता है इस कारण मटमैला, नारंगी व भूरा रंग आपके लिए अच्छा रहता है। पर अग्नि धातु का नाश करती है अर्थात् लाल रंग से बचें। जल भी धातु का नाश करती है इसलिए नीले रंग का भी उपयोग न करें।
- जल-पुरुष : धातु का जल से अच्छा संबंध रहता है इसलिए काला व नीला रंग आपके लिए अच्छा होता है। मगर पृथ्वी जल को सोख लेती है। अतः नारंगी व भूरे रंग का उपयोग न करें। इसी प्रकार काष्ठ जल का नाश करता है मतलब हरे रंग से बचें।
- काष्ठ-पुरुष : जल व काष्ठ आपस में मित्र होते हैं इसलिए काला व नीला रंग भी आप का मित्र होता है। लेकिन धातु काष्ठ को नष्ट करती है मतलब आपको श्वेत व सुनहरे रंग का उपयोग नहीं करना चाहिए। अग्नि काष्ठ का नाश करती है। तात्पर्य लाल रंग का उपयोग न करें।
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